Solution:राज्य सभा की तरह विधान परिषद एक स्थायी सदन है, इसे भंग नहीं किया जा सकता है। विधान परिषद के लगभग एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते रहते हैं। विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। विधान परिषद में अधिकतम सदस्य संख्या विधानसभा की एक-तिहाई और न्यूनतम 40 हो सकती है। संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत किसी राज्य विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों की संख्या के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव पर संसद विधि द्वारा संबंधित राज्य में विधान परिषद के सृजन या समाप्ति का उपबंध कर सकती है।अनुच्छेद 171 (3) के प्रावधानों के तहत विधान परिषद की संरचना इस प्रकार (जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे) निर्धारित की गई है-
(i) यथाशक्य निकटतम एक-तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाएंगे।
(ii) यथाशक्य निकटतम 1/12 सदस्य न्यूनतम 3 वर्ष से स्नातकों द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे।
(iii) यथाशक्य निकटतम 1/12 सदस्यों को न्यूनतम 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोग चुनेंगे, जो माध्यमिक स्तर से निम्न स्तर के नहीं होने चाहिए।
(iv) यथाशक्य निकटतम 1/3 सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाएंगे।
(v) शेष सदस्यों का नामांकन राज्यपाल द्वारा किया जाएगा जो कला, साहित्य, विज्ञान, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा से जुड़े हों।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विभिन्न राज्यों की विधान परिषदों की संरचना अनुच्छेद 171(2) के तहत संसद द्वारा बनाई गई विधि अर्थात 'लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950' (समय-समय पर यथासंशोधित) की धारा 10 और अनुसूची 3 के प्रावधानों के अनुरूप है।