विविध रोग एवं उपचार (Part – III)

Total Questions: 50

41. सर्व प्राचीन शैल समूह की आयु आंकी जाती है? [39ᵗʰ B.P.S.C. (Pre) 1994]

Correct Answer: (d) यूरेनियम लेड विधि से
Solution:यूरेनियम लेड विधि द्वारा सर्व प्राचीन शैल समूह की आयु (Age) आंकी जाती है। कार्बन डेटिंग (Carbon dating) द्वारा जीवाश्मों, मृत पेड़-पौधों आदि की आयु का अंकन किया जाता है।

42. कार्बन डेटिंग निम्न की आयु निर्धारण हेतु प्रयुक्त होती है : [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (a) जीवाश्म
Solution:यूरेनियम लेड विधि द्वारा सर्व प्राचीन शैल समूह की आयु (Age) आंकी जाती है। कार्बन डेटिंग (Carbon dating) द्वारा जीवाश्मों, मृत पेड़-पौधों आदि की आयु का अंकन किया जाता है।

43. वृक्ष की आयु वर्षों में निर्धारित की जाती है- [U.P.P.C.S. (Pre) 2000]

Correct Answer: (c) इसमें वार्षिक वलयों की संख्या के आधार पर
Solution:वृक्ष की आयु (Age) इसमें मौजूद वार्षिक वलयों (Annual rings) या वृद्धि वलयों (Growth rings) को गिनकर ज्ञात की जाती है, जो कि वलय के रूप में पौधों के तनों (Stems) में पाए जाते हैं। प्रत्येक वार्षिक वलय (वृद्धि-वलय) एक वर्ष की वृद्धि को संकेत करता है।

44. कथनों पर विचार कीजिए- [R.O./A.R.O. (Pre) Exam. 2017]

कथन (A) : मिट्टी की प्रजातियों में से मृत्तिका अधिकतम जल धारण करती है।

कारण (R) : मृत्तिका में रंध्राकाश बड़े आकार के पाए जाते हैं।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-

कूट :

Correct Answer: (c) (A) सत्य है, किंतु (R) असत्य है।
Solution:मृत्तिका मिट्टी के कणों का व्यास छोटा होने के कारण इसमें जल धारण क्षमता अधिक पाई जाती है। अतः कथन (A) सही है। मृत्तिका के कणों का आकार छोटा होने के कारण उसमें रंध्राकाश छोटे आकार के पाए जाते हैं, अतः कारण (R) गलत है।

45. कुछ कारणों वश यदि तितलियों की जाति (स्पीशीज) की संख्या में बड़ी गिरावट होती है, तो इसका इसके संभावित परिणाम क्या हो सकता/सकते है/हैं? [I.A.S. (Pre) 2017]

1. कुछ पौधों के परागण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

2. कुछ कृष्य पौधों में कवकीय संक्रमण प्रचंड रूप से बढ़ सकता है।

3. इसके कारण बर्रो, मकड़ियों और पक्षियों की कुछ प्रजातियों की समष्टि में गिरावट हो सकती है।

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

Correct Answer: (c) केवल 1 और 3
Solution:

तितलियां कई पुष्पीय पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, अतः इनकी संख्या में गिरावट से पौधों के परागण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। तितलियां खाद्य श्रृंखला में निम्न सदस्य (Lower Member) के रूप में कार्य करती हैं। यह बरें, मकड़ी, पक्षी, मेढ़क, सर्प इत्यादि का भोजन हैं। अतः तितलियों की संख्या में गिरावट से इस खाद्य श्रृंखला पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

46. विश्व की सर्वाधिक समस्यात्मक जलीय घास-फूस है : [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]

Correct Answer: (a) इकोर्निया
Solution:इकोर्निया (Eichhornia) एक जलीय पुष्पीय पादप है। यह विश्व की सर्वाधिक समस्यात्मक जलीय घास-फूस है, जो मूलतः अमेजन में पायी जाती है। भारत में इसे 'बंगाल का आतंक' भी कहा जाता है।

47. लीवर फ्लूक पित्त वाहिनी में रहता है- [R.A.S./R.T.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (d) भेड़ की
Solution:लीवर फ्लूक (यकृत कृमि) भेड़, बकरी, सुअर आदि के यकृत की बड़ी-बड़ी पित्त नलियों (Bile ducts) में पाया जाने वाला एक चपटा कृमि है, जो कि संघ प्लेटी हैल्मिन्थीज के अंतर्गत आता है। इसका जीवन वृत्त बहुत जटिल (Complexes) एवं द्विपोषदीय (Digenetic) होता है, जिसका द्वितीयक पोषद (Host) घोंघा है। यकृत कृमि एक द्विलिंगी (Bisexual) जंतु है, जिसमें परनिषेचन (Cross fertilization) होता है।

48. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्राम-पॉजिटिव एवं ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया के अंतर के लिए उत्तरदायी है? [Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013]

Correct Answer: (b) कोशिका दीवार
Solution:ग्राम-पाजिटिव एवं ग्राम-निगेटिव जीवाणुओं की आंतरिक संरचनाएं समान, परंतु बाह्य संरचनाएं भिन्न-भिन्न होती हैं। 'कोशिका दीवार' (Cell Wall) की संरचना, उसके अवयव तथा उसकी कार्यप्रणाली ग्राम-पाजिटिव जीवाणुओं को ग्राम-निगेटिव जीवाणुओं से भिन्न करती है।

49. बेलासंगमों (Estuaries) में एक रंजित डाइनोफ्लैजेलेट के अतिशय वृद्धि वाले सुस्पष्ट पुष्पपुंज होते हैं। ये पुष्पपुंज (Blooms) कहलाते हैं- [I.A.S. (Pre) 1998]

Correct Answer: (a) लाल ज्वार
Solution:बेलासंगमों (Estuaries) के जल में मौजूद विशेष शैवाल डाइनोफ्लैजेलेट (Dinoflagellates) की संख्या में अतिशय वृद्धि के कारण जीव विष उत्पन्न हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जल का रंग लाल हो जाता है। अतः इससे उत्पन्न पुष्पपूंज (Blooms) लाल ज्वार (Red tide) कहलाते हैं।

50. निम्न कथनों पर विचार कीजिए- [I.A.S. (Pre) 2003]

1. साधारण नील-हरित शैवाल स्पाइरोगाइरा और यूलोथ्रिक्स अलवणीय जलाशयों तथा महासागरों दोनों में ही पाए जाते हैं।

2. गिरगिट एक आंख से आगे की ओर तथा उसी समय दूसरी आंख से पीछे की ओर देख सकता है।

इनमें से कौन सा/से कथन सत्य हैं :

Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:स्पाइरोगाइरा एक शैवाल है, जिसमें क्लोरोफिल पाया जाता है। अतः यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाता है। इसे पोंड सिल्क (Pond Silk) भी कहा जाता है, क्योंकि यह तालाब में अक्सर देखा जाता है। यह बहुत तेजी से विकसित होता है। अतः कुछ ही समय में पूरे तालाब में इस तरह फैल जाता है कि तालाब का पानी हरा दिखाई पड़ता है। स्पाइरोगाइरा मुख्यतः स्थिर या गतिहीन स्वच्छ जल में पाया जाता है, जबकि यूलोथ्रिक्स मुख्यतः मंद गति से बहने वाले स्वच्छ जल में पाया जाता है। गिरगिट एक सरीसृप जंतु है, जिसकी आंख की विशेषता होती है कि एक ही समय में एक आंख से आगे की ओर तथा दूसरी आंख से पीछे की ओर देख सकता है। इसके अलावा यह आवश्यकतानुसार अपने शरीर की त्वचा का रंग भी बदल सकता है।