सर्वोच्च न्यायालय (भाग-3) (भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन)

Total Questions: 20

1. निम्नलिखित में से कौन चौथी महिला जज हैं, जिन्हें अप्रैल, 2010 में भारत के उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किया गया है? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]

Correct Answer: (c) जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा
Solution:प्रश्नकाल के दौरान उच्चतम न्यायालय में एकमात्र महिला न्यायाधीश जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा थीं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा अप्रैल, 2010 में नियुक्ति प्रदान की गई थी। इससे पूर्व ये पटना उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश थीं। इनसे पूर्व जस्टिस फातिमा बीवी, जस्टिस सुजाता मनोहर तथा जस्टिस रूमा पाल भी उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के पद को सुशोभित कर चुकी थीं। 13 सितंबर, 2011 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुई थीं तथा वे सर्वोच्च न्यायालय की पांचवीं महिला न्यायाधीश थीं। इसके पश्चात 13 अगस्त, 2014 को जस्टिस आर. बानुमती तथा 27 अप्रैल, 2018 को जस्टिस इंदु मल्होत्रा सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनीं। इनके पश्चात 7 अगस्त, 2018 को जस्टिस इंदिरा बनर्जी तथा 31 अगस्त, 2021 को जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी एवं जस्टिस बी.वी. नागरत्ना सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनी हैं तथा इस प्रकार अब तक (मार्च, 2024 की स्थिति अनुसार) कुल 11 महिला जज सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश बन चुकी हैं।

2. हाल में नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के निम्नलिखित न्यायाधीशों में से कौन इससे पहले किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नहीं था? [U.P.P.C.S. (Mains) 2016]

Correct Answer: (c) एल. नागेश्वर राव
Solution:13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय में चार न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई। ये थे- न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति अशोक भूषण एवं न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव। इनमें से एल. नागेश्वर राव सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नहीं थे, बल्कि ये सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता थे। ये अगस्त, 2003 से मई, 2004 तथा 26 अगस्त, 2013 से 18 दिसंबर, 2014 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे। इनके पश्चात वर्ष 2018 में न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ऐसी पहली महिला (तथा कुल 8वीं व्यक्ति) बनीं, जो सीधे अधिवक्ता (बार) से सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्त हुईं।

3. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निम्नांकित मुख्य न्यायमूर्तियों में से कौन भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नहीं रहे हैं? [M.P.P.C.S. (Pre) 2020]

Correct Answer: (c) न्यायमूर्ति एस. के. झा
Solution:मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रश्नगत मुख्य न्यायाधीशों में से न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक 2009-14 के मध्य, न्यायमूर्ति आर.वी. रविन्द्रन 2005- 11 के मध्य तथा न्यायमूर्ति ए.के. माथुर 2004-08 के दौरान उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रहे थे। न्यायमूर्ति एस.के. झा 1989-93 के दौरान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे, तथापि वे भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नहीं रहे।

4. उच्चतम न्यायालय के निम्नांकित न्यायाधीशों में से कौन राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नहीं रहे हैं? [R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (d) न्यायमूर्ति आर.सी. लाहोटी
Solution:प्रश्नगत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति आर.सी. लाहोटी राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नहीं रहे थे। न्यायमूर्ति लाहोटी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे थे। वे दिसंबर, 1998 में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए तथा 1 जून, 2004 से 31 अक्टूबर, 2005 तक भारत के 35वें मुख्य न्यायाधीश रहे। उच्चतम न्यायालय के अन्य तीनों प्रश्नगत न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे थे।

5. भारतीय न्यायिक व्यवस्था में जब जनहित याचिका को शामिल किया गया, उस समय भारत के मुख्य न्यायाधीश कौन थे? [U.P.P.C.S. (Pre) 2018]

Correct Answer: (e) इनमे से कोई भी नहीं
Solution:भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय की पहल पर जनहित याचिकाओं (PIL : Public Interest Litigation) की शुरुआत हुई। इसके तहत नागरिक समाज का कोई व्यक्ति या समूह जनहित के मामलों में न्यायिक उपचार प्राप्त करने हेतु न्यायालय की शरण ले सकता है। सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.एन. भगवती द्वारा वर्ष 1979 में हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य वाद में जनहित याचिका स्वीकार की गई थी। इस याचिका को पुष्पा कपिला हिंगोरानी (Pushpa Kapila Hingorani) ने दाखिल किया था। इन्हें 'जनहित याचिका की मां' (Mother of PIL) के नाम से भी जाना जाता है।

उल्लेखनीय है कि जिस समय पी.एन. भगवती ने यह याचिका स्वीकार की थी, उस समय वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, न कि मुख्य न्यायाधीश। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में इनकी नियुक्ति 17 जुलाई, 1973 को हुई, जबकि मुख्य न्यायाधीश के रूप में इनका कार्यकाल 12 जुलाई, 1985 से 20 दिसंबर, 1986 तक था। जबकि पहली जनहित याचिका स्वीकार होने के समय वाई.वी. चंद्रचूड़ (22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। अतः दिए गए विकल्पों में से कोई भी विकल्प सही नहीं है।

6. जनहित याचिका की शुरुआत किसके द्वारा की गई? [U.P. P.C.S. (Mains) 2008]

Correct Answer: (c) न्यायिक पहल द्वारा
Solution:भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय की पहल पर जनहित याचिकाओं (PIL : Public Interest Litigation) की शुरुआत हुई। इसके तहत नागरिक समाज का कोई व्यक्ति या समूह जनहित के मामलों में न्यायिक उपचार प्राप्त करने हेतु न्यायालय की शरण ले सकता है। सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.एन. भगवती द्वारा वर्ष 1979 में हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य वाद में जनहित याचिका स्वीकार की गई थी। इस याचिका को पुष्पा कपिला हिंगोरानी (Pushpa Kapila Hingorani) ने दाखिल किया था। इन्हें 'जनहित याचिका की मां' (Mother of PIL) के नाम से भी जाना जाता है।

उल्लेखनीय है कि जिस समय पी.एन. भगवती ने यह याचिका स्वीकार की थी, उस समय वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, न कि मुख्य न्यायाधीश। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में इनकी नियुक्ति 17 जुलाई, 1973 को हुई, जबकि मुख्य न्यायाधीश के रूप में इनका कार्यकाल 12 जुलाई, 1985 से 20 दिसंबर, 1986 तक था। जबकि पहली जनहित याचिका स्वीकार होने के समय वाई.वी. चंद्रचूड़ (22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। अतः दिए गए विकल्पों में से कोई भी विकल्प सही नहीं है।

7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [I.A.S. (Pre) 2008]

1. न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्णा अय्यर भारत के मुख्य न्यायमूर्ति थे।

2. न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्णा अय्यर भारतीय न्यायिक सेवा में लोकहित याचिका (PIL) के प्रजनकों में से एक माने जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

Correct Answer: (b) केवल 2
Solution:न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्णा अय्यर 1973 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। वे कभी भारत के मुख्य न्यायाधीश नहीं रहे। न्यायमूर्ति पी. एन. भगवती एवं न्यायमूर्ति अय्यर लोकहित याचिका (PIL) को प्रारंभ करने एवं प्रोत्साहन देने के लिए जाने जाते हैं।

8. पी.आई.एल. है- [M.P.P.C.S. (Mains) 2013]

Correct Answer: (a) पब्लिक इन्टरेस्ट लिटिगेशन
Solution:पी.आई.एल. (P.I.L.) का पूर्णरूप है-' पब्लिक इन्टरेस्ट लिटिगेशन' (जनहित याचिका)। जनहित याचिका उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय दोनों में प्रस्तुत की जा सकती है।

9. जनहित याचिका (पी.आई.एल) कहां पर प्रस्तुत की जा सकती है? [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]

Correct Answer: (d) उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय दोनों में
Solution:पी.आई.एल. (P.I.L.) का पूर्णरूप है-' पब्लिक इन्टरेस्ट लिटिगेशन' (जनहित याचिका)। जनहित याचिका उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय दोनों में प्रस्तुत की जा सकती है।

10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कर सही उत्तर निम्न कूट की सहायता से चुनिए : [U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]

कथन (A): जनहित याचिका जन सहयोगी नागरिकों को न्यायालय तक जाने की स्वीकृति देती है।

कारण (R) : जन सहयोगी व्यक्ति उस व्यक्ति के लिए न्याय मांग सकें जो किसी कारण से न्यायालय तक पहुंच पाने में असमर्थ है।

Correct Answer: (a) (A) और (R) दोनों सत्य हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
Solution:जनहित याचिका के माध्यम से नागरिक समाज का कोई व्यक्ति या समूह किसी व्यक्ति, समूह या समाज के हित संबंधी मामलों में न्यायिक उपचार की प्राप्ति हेतु न्यायालय जा सकता है। इस प्रकार कथन एवं कारण दोनों सही हैं और कारण, कथन की सही व्याख्या है।