Correct Answer: (b) दक्षिणी गोलार्द्ध में पश्चिमी पवनें
Solution:के कारण ये हवाएं नमी से परिपूर्ण हो जाती हैं तथा अपने अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में पर्याप्त वर्षा करती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल की कमी के कारण इनकी गति इतनी तेज होती है कि हवाएं तूफानी हो जाती हैं। पछुवा पवनों के साथ प्रचंड झंझा चला करते हैं। इनकी प्रचंडता के कारण ही दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें 40° अक्षांश पर गरजता चालीसा, 50° अक्षांश पर प्रचंड पचासा एवं 60° अक्षांश पर चीखता साठा कहते हैं। पृथ्वी अपनी अक्ष रेखा के सहारे पश्चिम से पूर्व दिशा में घूर्णन करती है, अतः इस घूर्णन के कारण वायु की दिशा में विचलन हो जाता है। इस प्रकार वायु की दिशा को विक्षेपित करने वाले बल को विक्षेपक बल अथवा कोरिऑलिस बल (जी.जी. कोरिऑलिस, वायु की दिशा में विक्षेप की प्रक्रिया के प्रथम अध्ययनकर्ता) कहते हैं। कोरिऑलिस बल दोनों गोलाद्धों में समान रूप से लगता है। इनमें केवल दिशा परिवर्तन होता है।