हवाएं

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11. दक्षिणी गोलार्द्ध में हवा का बाईं ओर विक्षेपित होने का क्या कारण है? [U.P.P.C.S. (Pre) 2023]

Correct Answer: (b) कोरिऑलिस बल
Solution:धरातल पर प्रवाहित हवाओं की दिशा वायुदाब तथा पृथ्वी की घूर्णन गति द्वारा निर्धारित होती है। पृथ्वी की अक्षीय गति से उत्पन्न विक्षेपक बल (Deflection Force) के कारण हवाओं की दिशा में विक्षेप हो जाता है। इस बल की खोज जी.जी. कोरिऑलिस द्वारा किए जाने के कारण बाद में इसका नामकरण 'कोरिऑलिस बल' कर दिया गया। फेरल के नियमानुसार, हवाएं उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर मुड़ जाती हैं। सामान्यतः उत्तरी गोलार्द्ध का पवन प्रतिरूप दक्षिणावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध का वामावर्त होता है। अतः कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की स्पष्ट व्याख्या भी करता है।

12. उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में दक्षिणी गोलार्द्ध में पश्चिमी पवन अधिक सशक्त तथा स्थायी होती है। क्यों? [I.A.S. (Pre) 2011]

1. उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में दक्षिणी गोलार्द्ध में भू-खंड कम हैं।

2. उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में दक्षिणी गोलार्द्ध में कोरिऑलिस बल अधिक होता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है/हैं?

Correct Answer: (a) केवल 1
Solution:उपोष्ण उच्च वायुदाब (30°-35°) से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब (60°-65°) के बीच दोनों गोलार्द्ध में चलने वाली स्थायी पवन को पछुवा या पश्चिमी पवन कहते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता के कारण ये अधिक जटिल हो जाती हैं तथा ग्रीष्म ऋतु में कम सक्रिय (सामान्य गति वाली) एवं शीत ऋतु में अधिक सक्रिय हो जाती हैं। सागर के ऊपर  के कारण ये हवाएं नमी से परिपूर्ण हो जाती हैं तथा अपने अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में पर्याप्त वर्षा करती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल की कमी के कारण इनकी गति इतनी तेज होती है कि हवाएं तूफानी हो जाती हैं। पछुवा पवनों के साथ प्रचंड झंझा चला करते हैं। इनकी प्रचंडता के कारण ही दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें 40° अक्षांश पर गरजता चालीसा, 50° अक्षांश पर प्रचंड पचासा एवं 60° अक्षांश पर चीखता साठा कहते हैं। पृथ्वी अपनी अक्ष रेखा के सहारे पश्चिम से पूर्व दिशा में घूर्णन करती है, अतः इस घूर्णन के कारण वायु की दिशा में विचलन हो जाता है। इस प्रकार वायु की दिशा को विक्षेपित करने वाले बल को विक्षेपक बल अथवा कोरिऑलिस बल (जी.जी. कोरिऑलिस, वायु की दिशा में विक्षेप की प्रक्रिया के प्रथम अध्ययनकर्ता) कहते हैं। कोरिऑलिस बल दोनों गोलाद्धों में समान रूप से लगता है। इनमें केवल दिशा परिवर्तन होता है।

13. गरजती चालीसा, प्रचंड पचासा एवं चीखता साठा क्या है? [M.P.P.C.S. (Pre) 2015]

Correct Answer: (b) दक्षिणी गोलार्द्ध में पश्चिमी पवनें
Solution:के कारण ये हवाएं नमी से परिपूर्ण हो जाती हैं तथा अपने अक्षांशों में महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में पर्याप्त वर्षा करती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल की कमी के कारण इनकी गति इतनी तेज होती है कि हवाएं तूफानी हो जाती हैं। पछुवा पवनों के साथ प्रचंड झंझा चला करते हैं। इनकी प्रचंडता के कारण ही दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें 40° अक्षांश पर गरजता चालीसा, 50° अक्षांश पर प्रचंड पचासा एवं 60° अक्षांश पर चीखता साठा कहते हैं। पृथ्वी अपनी अक्ष रेखा के सहारे पश्चिम से पूर्व दिशा में घूर्णन करती है, अतः इस घूर्णन के कारण वायु की दिशा में विचलन हो जाता है। इस प्रकार वायु की दिशा को विक्षेपित करने वाले बल को विक्षेपक बल अथवा कोरिऑलिस बल (जी.जी. कोरिऑलिस, वायु की दिशा में विक्षेप की प्रक्रिया के प्रथम अध्ययनकर्ता) कहते हैं। कोरिऑलिस बल दोनों गोलाद्धों में समान रूप से लगता है। इनमें केवल दिशा परिवर्तन होता है।

14. गरजने वाली चालीसा, कुद्ध पचासा, चीखने वाली साठा पवनें पृथ्वी के किस गोलार्द्ध में चलती हैं? [67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2022]

Correct Answer: (b) दक्षिणी गोलार्द्ध
Solution:गरजने वाली चालीसा, क्रुद्ध पचासा, चीखने वाली साठा पवनें पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में चलती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में पछुवा पवनों की प्रचंडता के आधार पर इन्हें यह नाम प्रदान किया गया है।