II. विश्व का भूगोल (सामान्य अवधारणा) ब्रह्माण्ड

 

Total Questions: 28

1. तारे का रंग सूचक है- [I.A.S. (Pre)1994]

Correct Answer: (d) उसके ताप का
Solution:तारों का रंग उनके ताप का सूचक होता है। विभिन्न रंग के तारों का ताप निम्न प्रकार है-

नीला- 50000-28000 K
नीला-श्वेत - 28000-10000 K
श्वेत -10000-7500 K
श्वेत-पीत 7500-6000 K
पीत - 6000-4900 K
नारंगी - 4900-3500 K
लाल- 3500-2000 K

2. वह सीमा, जिसके बाहर तारे आंतरिक मृत्यु से ग्रसित होते हैं, कहलाती है- [U.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (a) चंद्रशेखर सीमा
Solution:भारतीय-अमेरिकी भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1931 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर/श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। ध्यान रहे कि 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। यह पूर्णतः निश्चित नहीं है कि विकास की मुख्य अवस्था का किस आकार का तारा विस्फोट के पश्चात 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की सीमा के अंदर अवशेष के रूप में बचता है, किंतु ऐसा माना जाता है कि सूर्य के 8 गुने आकार तक के तारे में विस्फोर्ट के पश्चात लगभग 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान के बराबर अवशेष बचता है और इससे बड़े तारों का अवशेष 1.44 द्रव्यमान से अधिक होता है। इन्हीं तारों के ब्लैक होल बनने की संभावना होती है। ब्लैक होल का उच्च गुरुत्वाकर्षण तारे के संपूर्ण अवशेष को अपने अंदर समा लेता है। यहां तक कि इसके पास से गुजरने वाली कोई भी वस्तु इसके गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं सकती है।

3. श्याम-विवर होता है - [U.P.P.C.S. (Pre) 2019]

Correct Answer: (d) सिमट गया तारा
Solution:भारतीय-अमेरिकी भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1931 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर/श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। ध्यान रहे कि 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। यह पूर्णतः निश्चित नहीं है कि विकास की मुख्य अवस्था का किस आकार का तारा विस्फोट के पश्चात 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की सीमा के अंदर अवशेष के रूप में बचता है, किंतु ऐसा माना जाता है कि सूर्य के 8 गुने आकार तक के तारे में विस्फोर्ट के पश्चात लगभग 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान के बराबर अवशेष बचता है और इससे बड़े तारों का अवशेष 1.44 द्रव्यमान से अधिक होता है। इन्हीं तारों के ब्लैक होल बनने की संभावना होती है। ब्लैक होल का उच्च गुरुत्वाकर्षण तारे के संपूर्ण अवशेष को अपने अंदर समा लेता है। यहां तक कि इसके पास से गुजरने वाली कोई भी वस्तु इसके गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं सकती है।

4. तारों के कारण घटित आकाशीय परिघटना कौन है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1997]

Correct Answer: (b) कृष्ण विवर
Solution:भारतीय-अमेरिकी भौतिकविद् सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने वर्ष 1931 में 1.44 सौर्यिक द्रव्यमान की वह सीमा निश्चित की थी, जिसके अंदर के तारे श्वेत वामन बनते हैं और जिसके ऊपर के अवशेष द्रव्यमान वाले तारे न्यूट्रॉन स्टार या कृष्ण विवर/श्याम विवर (Black Hole) के रूप में परिवर्तित होते हैं। ध्यान रहे कि 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की चंद्रशेखर सीमा नोवा या सुपरनोवा विस्फोट के बाद बचे अवशेष तारे के द्रव्यमान से सुनिश्चित होती है। यह पूर्णतः निश्चित नहीं है कि विकास की मुख्य अवस्था का किस आकार का तारा विस्फोट के पश्चात 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान की सीमा के अंदर अवशेष के रूप में बचता है, किंतु ऐसा माना जाता है कि सूर्य के 8 गुने आकार तक के तारे में विस्फोर्ट के पश्चात लगभग 1.44 सौर्थिक द्रव्यमान के बराबर अवशेष बचता है और इससे बड़े तारों का अवशेष 1.44 द्रव्यमान से अधिक होता है। इन्हीं तारों के ब्लैक होल बनने की संभावना होती है। ब्लैक होल का उच्च गुरुत्वाकर्षण तारे के संपूर्ण अवशेष को अपने अंदर समा लेता है। यहां तक कि इसके पास से गुजरने वाली कोई भी वस्तु इसके गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं सकती है।

5. कृष्ण छिद्र सिद्धांत को प्रतिपादित किया था- [U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (c) एस. चंद्रशेखर ने
Solution:दिए गए विकल्पों में एस. चंद्रशेखर ने कृष्ण छिद्र सिद्धांत या ब्लैक होल की जानकारी सर्वप्रथम दी थी।

6. निम्नलिखित में से कौन-सी खगोलीय वस्तु नहीं है? [I.A.S. (Pre) 1993]

Correct Answer: (c) कृष्ण मास्टर
Solution:कृष्ण मास्टर खगोलीय वस्तु नहीं है, बल्कि कृष्ण विवर या ब्लैक होल खगोलीय वस्तु है। क्वासर एक अर्ध-तारकीय रेडियो स्रोत (Quasi-Stellar radio source) है, जो पृथ्वी से लगभग 13 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। कुछ इससे भी अधिक दूरी पर स्थित हैं। ये प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इनसे आने वाली रेडियो तरंगों से इनकी जानकारी प्राप्त की जाती है। इसी प्रकार पल्सर एक खगोलीय पिंड है, जो स्पंदन के रूप में नियमित अंतराल पर रेडियो तरंगें उत्सर्जित करता रहता है।

7. निम्नांकित में से कौन अंतरिक्ष में नहीं पाया जाता है? [U.P.P.C.S. (Pre) 1996]

Correct Answer: (b) ब्रिटल स्टार
Solution:पल्सर, क्वासर तथा ब्लैक होल तो अंतरिक्ष में पाए जाते हैं, जबकि ब्रिटल स्टार (Brittle Star) का संबंध एनिमेलिया जगत, इकाइनोडर्मेटा संघ तथा ओफिउरोइडिया वर्ग से है, जो समुद्री जीव 'स्टार फिश' के समान हैं। ये दोनों ही समुद्री नितल पर रेंग कर चलने वाले समुद्री जीव हैं, जिन्हें मछली के समीप माना जा सकता है। अतः ब्रिटल स्टार का संबंध अंतरिक्ष से न होकर समुद्र से है।

8. 'प्रकाश वर्ष' इकाई है- [M.P.P.C.S. (Pre) 1994]

Correct Answer: (b) दूरी की
Solution:प्रकाश वर्ष (Light-Year) वह दूरी होती है, जो निर्वात (Vacuum) में प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की जाती है, अर्थात प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक होता है।

9. तारों के मध्य दूरी ज्ञात करने की इकाई है- [Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]

Correct Answer: (b) कॉस्मिक किलोमीटर
Solution:निर्वात में प्रकाश द्वारा 3 × 105 किमी./सेकंड की गति से एक वर्ष में चली गई दूरी प्रकाश वर्ष कहलाती है। प्रकाश वर्ष तारों के मध्य दूरी ज्ञात करने की इकाई है।

10. यदि एक प्रेक्षक तारों को क्षितिज से लंबवत उठते देखता है, तो वह अवस्थित होता है- [I.A.S. (Pre) 2001]

Correct Answer: (a) विषुवत रेखा पर
Solution:तारे उत्तरी और दक्षिणी खगोलीय ध्रुवों (North & South Celestial Poles) के चारों ओर खगोलीय विषुवत रेखा (Celestial Equator) के समानांतर चक्कर लगाते दिखाई देते हैं। उत्तरी एवं दक्षिणी खगोलीय ध्रुव, भौगोलिक उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों (Geographical North & South Poles) के ठीक ऊपर स्थित होते हैं तथा खगोलीय विषुवत रेखा पृथ्वी की विषुवत रेखा के लगभग ऊपर एवं ध्रुवों के सदैव 90° पर स्थित होती है और यह क्षितिज पर पूर्व एवं पश्चिम के बिंदुओं से अंतर्रोध करती है। खगोलीय ध्रुवों के अंशों (Degrees) की संख्या क्षितिज की विषुवत रेखा के अक्षांशों के बराबर होती है। अतः यदि कोई प्रेक्षक (Observer) तारों को क्षितिज से लंबवत उठते हुए देखता है, तो निश्चित ही वह विषुवत रेखा पर है।